*मेडिकल डिवाइस पर इंपोर्ट ड्यूटी कम होने से इसे लगातार बढ़ावा मिल रहा है.
*घरेलू मेडिकल डिवाइस मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि इससे न सिर्फ घरेलू इंडस्ट्री की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है, कई मैन्युफैक्चरर अब दूसरे कारोबार की ओर भी शिफ्ट होने लगे हैं.
*वहीं, बेहद सस्ते में विदेशी उपकरणों से मरीजों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
*उनका कहना है कि जिस तरह से घरेलू इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल फोन इंडस्ट्री को पिछले 2 साल में बूस्ट मिला है, सरकार को वहीं पॉलिसी घरेलू मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को लेकर भी अपनानी चाहिए.
इंडस्ट्री की डिमांड क्या है?
इंडस्ट्री की यह डिमांड है कि विदेशी प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 15 फीसदी किया जाए. इससे बाहर से आने वाले प्रोडक्ट महंगे होंगे, जिससे घरेलू प्रोडक्ट की मांग बढ़ेगी. वहीं घरेलू इंडस्ट्री जो रॉ मटेरियल इस्तेमाल कर रही है, उस पर ड्यूटी मौजूदा स्तर 2.5 फीसदी पर बरकरार रखी जाए. जैसे जैसे रॉ मटेरियल घरेलू स्तर पर बनने लगे, इसमें उसी रेश्यो में धीरे धीरे बढ़ोत्तरी की जाए. विदेशी इक्यूपमेंट की क्वालिटी की भी जांच हो, क्योंकि सस्ता होने की वजह से इनकी डिमांड ज्यादा रहती है. वहीं, बेहतर क्वालिटी होने के बाद भी घरेलू कंपनियों को डिमांड नहीं मिल रही है.
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